शब्द
एवं पद
कक्षा नवीं के लिए यह पाठ नया है | पहले हम यह समझेंगे कि शब्द क्या है ? मन में यह सवाल
उठ सकता है कि इसमें समझना क्या है, हम जो बोलते हैं वे शब्द ही तो हैं | बोलचाल
की भाषा में यह सही है परन्तु व्याकरण में शब्द और पद का वर्गीकरण किया गया है |
शब्द की परिभाषा : ध्वनियों के
ऐसे समूह को शब्द कहा जाता है जिसका कोई अर्थ हो जैसे-
गगन, चकोर, बादल, पानी इत्यादि | ये सभी शब्द - समूह सार्थक
होने के साथ- साथ स्वतंत्र भी हैं|
चलिए ! इन्हीं
शब्दों को दुबारा लिखते हैं- नगग, रकोच,
लदबा, नीपा -इनका कोई अर्थ नहीं निकलता
पद की परिभाषा : जब यहीं शब्द व्याकरणिक नियमो से बंधकर वाक्य में परिवर्तित
हो जाते हैं,
तो पद कहलाते हैं
जैसे- बादल को देखकर मोर नाचने लगता है |
चकोर पंक्षी चाँद को निहारता रहता है |
शब्द और पद में अंतर :-
शब्द
१. अर्थपूर्ण वर्ण
समूह को शब्द कहते हैं
२. इनका स्वतंत्र
प्रयोग होता है |
३. इनसे पदों का
निर्माण होता है |
४. जैसे -
भगवाना, दुखियारी, माँ, पुत्र, था |
पद
१. अर्थपूर्ण शब्द समूह
जब वाक्य में प्रयुक्त होते हैं तो पद बन जाते हैं |
२. इनका स्वतंत्र
प्रयोग नहीं होता |
३. पदों से
पदबंधों की रचना होती है |
४. जैसे- भगवाना
दुखियारी माँ का पुत्र था |
पुनरावृति कार्य- शब्द प्रत्येक स्वतंत्र और सार्थक वर्ण-समूह
शब्द कहलाता है |
जैसे- बच्चा, राम ,दिल्ली, घोड़ा आदि |
पद- जब कोई शब्द व्याकरण के नियमों यथा- उपसर्ग,
प्रत्यय,कारक,लिंग ,वचन पुरुष
आदि में बंध जाता
है,तब वह शब्द स्वतंत्र न रहकर पद बन जाता है |
उदाहरण - १.बच्चा रोता है |
२. राम दशरथ के पुत्र हैं |
३. घोड़ा हिनहिना रहा है |